लघु कथा --तारा टूट गया (रमेश शर्मा बाहिया )
अँधेरी रात .नयनों का निर्विघ्न तारों तक सफ़र .खेलते दो बच्चे . .एक बोला- -"मृत्यु के पश्चात मनुष्य तारा बन
परिवार को निहारता रहता है, दादा जी कहा करते थे ".
"दादा जी की नजरें कमजोर हो गई है ,अब देख नहीं पाती ." दूसरा बोला .
"कैसे " एक ने पुच्छा .
"दादा जी की मृत्यु के दो माह बाद ही आज ताऊ जी ,चाचा जी ,बड़े भईया सब अलग हो गये है " दूसरे ने कहा .
अचानक एक तारा टुटा और लुप्त हो गया .
दोनों ने देखा -दादा जी टूट गये .