भ्रुण संवाद (कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए प्रेरणा )
रमेश शर्मा( बाहिया )
रमेश शर्मा( बाहिया )
मेरा कसूर है क्या ,बतला माँ क्यों त्याग रही मुझकोऐसा भ्रूण से क्या दोष हुआ
करने चली जुदा मुझको /
तुमने समझा कलंक मुझे
माता भूल तुम्हारी है
मुझे भी अधिकार है जीवन का
जीने की चाहत मेरी है /
गर त्यागती माएँ भ्रूण यूहीं
कौशल्या न पैदा होती
न जनमति कभी मीरा बाई
न यशोदा ही पैदा होती /
रूप बछेंद्री धर, हमने
हिमालय को नापा है
बन कल्पना हमने ही
अंतरिक्ष का रहस्य आँका है /
सावित्री रूप में हमने
काल को भी ललकारा है
हम ही लक्ष्मी बाई है
हम ही समर विजेता है /
सुन बात भ्रूण की ,माँ बोली
तेरे शब्द बाणों ने ,मुझको आहत कर डाला
नयनों पर था जो पर्दा ,बेपर्दा तूने कर डाला
कसम है नारी जाति की ,
हर भ्रूण जग में अवतरित होगा
कन्या से नारी होगी ,नारी से जग चरित्रित होगा //…. रमेश शर्मा( बाहिया )