सालों पहले ....एक सर्द रात.....;उसके नयनों से टपक बूँद पलकों पर ठहर गई /.
....;'.मोती ....नहीं ....नहीं, ...,डायामोंड ....चकाचोंध करती रश्मिया ...'.अकस्मात मेरे मुख से निकला .
''उपमाओं से आंसुओं की कीमत कम मत करो .......''....वह बोली ......
बाहर..विरह की वेदना में बिलखते कुत्तों का विलाप सन्नाटे को चीर गया ....
भीतर ..पलक से टपकी बूँद ..उसके गलों पर बिखर समुदर हो गई ........तब पहली बार बूँद को समंदर होते देखा .........................
....;'.मोती ....नहीं ....नहीं, ...,डायामोंड ....चकाचोंध करती रश्मिया ...'.अकस्मात मेरे मुख से निकला .
''उपमाओं से आंसुओं की कीमत कम मत करो .......''....वह बोली ......
बाहर..विरह की वेदना में बिलखते कुत्तों का विलाप सन्नाटे को चीर गया ....
भीतर ..पलक से टपकी बूँद ..उसके गलों पर बिखर समुदर हो गई ........तब पहली बार बूँद को समंदर होते देखा .........................
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