तुम सजने फिर से सवरने लगी ,
खुशियाँ ही खुशियाँ छलकने लगी ,
हम वादों के सफ़र में फिसलते रहे
तुम मोहब्बत की बाँहों में सिमटने लगी ,
देख मंजर दिल भर आया मेरा ,
खुशहाल रहो प्यार हो अमर तेरा .
खुशियाँ ही खुशियाँ छलकने लगी ,
हम वादों के सफ़र में फिसलते रहे
तुम मोहब्बत की बाँहों में सिमटने लगी ,
देख मंजर दिल भर आया मेरा ,
खुशहाल रहो प्यार हो अमर तेरा .
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